बनकटी, बस्ती ((राजेश शुक्ला)) ग्राम पंचायत के बजट का बन्दरबाँट करने की शिकायत करने वाले को पुलिस ने पकड़ कर थाने में बैठा लिया। जबकि भ्रष्टाचार में लिप्त प्रधान को संरक्षण दिया जा रहा है। फलस्वरूप ग्रामीणों को मजबूर होकर बगावत पर उतरना पड़ा। नराज ग्रामीणों ने आधे घन्टे तक बस्ती महुली मार्ग को जाम कर दिया। लेकिन पुलिस ने मौके पर पहुँच कर बर्बरता का प्रदर्शन कर जाम हटवाया। मामला लालगंज थाने का है।
जो पुलिस की पक्षपातपूर्ण रवैये को रेखाँकित कर रहा है। कुदरहा ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायत रैनियाँ में विकास योजनाओं में बड़े पैमाने पर बन्दरबाँट की शिकायतों को सज्ञान लेकर ग्राम पंचायत के निवासी आशीष श्रीवास्तव उर्फ अँशुल ने सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगा। इसकी जानकारी जब दलित प्रधान छबिलाल, उनके पुत्र व प्रधान प्रतिनिधि बहरैची जो सफाई कर्मचारी भी है को हुई तो उन्होंने आशीष को सबक सिखाने के लिए फर्जी दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराने की नीयत से पुलिस को तहरीर दे दिया।
मामले की हकीकत जानने की बजाय रविवार 19 जुलाई को पुलिस ने आशीष को दोपहर बाद हिरासत में लेकर थाने पर बैठा लिया। पुलिस के इस पक्षपात पूर्ण रवैये के विरोध में दर्जनों ग्रामीण दूसरे दिन सोमवार को थाने पर सुबह साढे नौ बजे पहुँचे। आरोप है कि थाने पर ग्रामीणों से किसी पुलिसकर्मी ने सीधे मुँह बात करना भी मुनासिब नहीं समझा। मजबूर होकर बनकटी महुली मार्ग पर बाँस बल्ली रखकर आधे घन्टे तक जाम लगाकर पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
जानकारी होने पर आनन फानन में नवागत थानाध्यक्ष ब्रह्मा गौड़ अपने लाव लश्कर के साथ मौके पर पहुँचे, बर्बरता पूर्वक ना सिर्फ जाम हटवाया बल्कि प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करते हुये लगभग एक दर्जन ग्रामीणों को हिरासत में लेकर थाने पर ले जाकर मुकदमे में निरुद्ध कर दिया। इस प्रकरण में थानाध्यक्ष ने बताया कि पुलिस जो आवश्यकता समझेगी वही करेगी। अब सवाल उठता है कि क्या ग्रामीणों को जागरूक करना व भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाना गुनाह है ?.