अशोक श्रीवास्तवः लॉकडाउन और सीलिंग में फर्क


अशोक श्रीवास्तवः लॉकडाउन और सीलिंग में फर्क
सीलिंग वाले इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात होंगे। लोगों को घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। दूध-राशन के लिए भी नहीं। सब दुकानें बंद करा दी जायेंगी। डोर-टू-डोर स्‍क्रीनिंग होगी। संदिग्‍ध लोगों के सैंपल लिए जायेंगे। हर पॉजिटिव केस की कॉन्‍ट्रैक्‍ट ट्रेसिंग हुई ताकि कोई छूट ना जाए। कुछ मिलाकर इन इलाकों को बाकी दुनिया से भौतिक रूप से काट दिया जायेगा, ताकि संक्रमण इन इलाकों से बाहर ना जाए। कई जिलों में हालात ऐसे बने कि पूरे जिले को सील करना पड़ा। भीलवाड़ा और इंदौर इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं।


जबकि लॉकडाउन के दौरान, जरूरी सामान लेने बाहर जा सकते हैं। फल, सब्जियां, राधन, दूध, दवाइयों के लिए बाहर जाने की इजाजत होती है। इमरजेंसी सर्विसेज चलती रहती हैं। मगर बेवजह घरों से निकलने पर कानूनी रोक रहती है। देश में लॉकडाउन तो 25 मार्च से लागू है, इसके बावजूद इसी पीरियड में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, केरल, मध्‍य प्रदेश, दिल्‍ली का हाल बेहद बुरा है। इंदौर, भीलवाड़ा जैसे शहरों में तो लॉकडाउन के बावजूद मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। इसलिये इससे आगे का स्‍टेप अपनाया गया यानी कर्फ्यू और सीलिंग। कोरोना वायरस महामारी रोज सैकड़ों भारतीयों को शिकार बना रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 773 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 32 लोगों ने अपनी जान गंवाई। देश में 5 हजार से ज्‍यादा पॉजिटिव केसेज हैं, डेढ़ सौ लोग मारे जा चुके हैं।


क्या लॉकडाउन पीरियड बढ़ेगा


कोरोना वायरस के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए लॉकडाउन हटने की संभावना बेहद कम है। बुधवार को सर्वदलीय बैठक में भी यही बात सामने आई कि 80 फीसदी राजनीतिक पार्टियां लॉकडाउन जारी रखने के पक्ष में हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ’राज्य, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के विस्तार का सुझाव दिया है।’ पीएम मोदी ने मीटिंग में कहा कि देश में स्थिति ’सामाजिक आपातकाल’ के समान है। इसके लिए कड़े फैसलों की जरूरत है और हमें निरंतर सतर्क रहना चाहिए। पीएम ने 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई। सभी ने लॉकडाउन एक्‍सटेंशन की सलाह दी। लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने के सुझाव दिये गये हैं।


बस्ती चेतना की अपील


प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा है कि हालात सामाजिक आपातकाल जैसे हैं। काफी धैर्य और संयम की जरूरत है। लॉकडाउन रहते हुये हमे कर्फ्यू झेलना पड़े इसका मतलब हमसे कहीं न कहीं लॉकडाउन का पालन करने में चूक हुई है जिनका नतीजा पूरा प्रदेश भोगेगा। अभी भी गनीमत है। खाने पीने की जरूरतों के सामान लोग घरों मे रख चुके हैं। जो बहुत ही अक्षम हैं उनका ध्यान स्थानीय प्रशासन और सरकार को है। खुद को कोरोना के खिलाफ जारी जंग में एक योद्धा समझकर घर में रहे।


यह अजीब तरह का युद्ध है और अजीबोगरीब दुश्मन है। इससे छिपकर ही हम जंग जीत सकते हैं। संक्षेप में कहें तो आप अपने घरों में सिर्फ इसलिये न रहे कि आपको सुरक्षित रहना है बल्कि इसलिये भी रहे कि बाहर भी लोगों का स्वस्थ और सुरक्षित रहने का अधिकार है। हम उनके अधिकारों का अतिक्रमण न करें। ये भी न समझ में आये तो ऐसा समझिये कि घर से बाहर मौत मड़रा रही है और घर के अंदर जिंदगी। तय आपको खुद ही करना है।