कलवारी, बस्तीः जनपद में पशु स्वास्थ्य सेवायें लचर हैं। मीडिया दस्तक टीम इसकी पड़ताल में जुटी है। बनकटी, मुण्डेरवां में बेजुबानों के स्वास्थ्य और इलाज को लेकर जिम्मेदार कितने गंभीर है यह बात सार्वजनिक हो चुकी है। पता चला है कि अधिकांश पशु अस्पतालों में डाक्टर आते ही नही है। कभी कभार जाकर पूरे महीने का वेतन उठा रहे हैं।
कलवारी संवाददाता दिलीप श्रीवास्तव ने बहादुरपुर ब्लाक में स्थिति की पड़ताल की। पता चला यहां एक जर्जर मकान में अस्पताल चल रहा है जो अंग्रेजों के जमाने का बना है। भवन में बैठने से भी डर लगता है। एवं कृतिम गर्भाधान केंद्र बहादुर पुर में 11ः30 बजे मौके पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मदन मोहन मिश्र कागजात लिखते पाये गये। यहां डॉ राजेश वर्मा तैनात हैं। क्षेत्रीय जनों का कहना है कि वे अस्पताल आते ही नही। पशुओं के बीमार पड़ने पर निजी चिकित्सकों से इलाज कराना पड़ता है। बताया यह भी गया कि उनका हस्ताक्षर मौके पर मौजूद कर्मचारी बना देते हैं, महीने में दो तीन बार आकर वे रजिस्टर सीन कर लेते हैं।
हालांकि संवाददाता के पूछने पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने बताया कि डॉ साहब कुसौरी गौशाला आश्रय स्थल में चारा भूसा की ब्यवस्था देखने गये हैं। पशुधन प्रसार अधिकारी शिवदास यादव को दो जगह देखना पड़ता है। इसलिए वे दूसरी जगह पर होंगे। इस समय इस अस्पताल में तीन लोग नियुक्त हैं। पड़ताल से वापस लौटते समय संवाददाता से डा. राजेश की मोबाइल पर बात हुई। उन्होंने बताया कि अस्पताल का भवन बरसात में रिसता है जो कि बहुत पुराना है उनकी मानें तो अंग्रेजों के द्वारा बनवाया गया है जिसके मरमत के लिए लिखा गया है। उन्होने यह भी कहा देखियेगा ज़रा पॉजिटिव भेजियेगा।