आजकल स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ गया है। यह बीमारी सूअरों के इर्द गिर्द रहने से फैलती है। बीमारी चाहे चाहे कोई भी हो या कितनी भी गंभीर क्यों ना हो, उससे बचने के कोई ना कोई घरेलू उपाय जरूर होते हैं। इन्हे अपनाया जाए तो बहुत ही फायदेमंद हो सकते हैं। कई बार तो यह दवाइयों से भी ज्यादा असरकारक साबित होते हैं। इसी तरह अगर हम स्वाइन फ्लू की बात करें तो कई ऐसे घरेलू उपाय हैं जिन्हें अपनाकर स्वाइन फ्लू होने से रोका जा सकता है। स्वाइन फ्लू का खतरा अधिकतर ठंड और बरसात में रहता है क्योंकि ये बीमारी नमी के चलते तेजी से फैलती है। ज्यादातर यात्राएं करने वाले लोग सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं। गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे, सुस्त, कम भूख, और सांस में कठिनाई वाले बच्चे भी उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं। दमा, डायबिटीज, हृदय तथा अन्य श्वसन रोगों जैसे स्थायी रोगों की समुचित देखभाल से रहित लोगों के लिए भी जोखिम अधिक रहता है। बस्ती जनपद के जिला चिकित्सालय के आयुष विंग में तैनात प्रख्यात चिकित्सक डा. वीके वर्मा ने मीडिया दस्तक को स्वाइन फ्लू के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उनके द्वारा दी गयी खास जानकारी हम आप तक पहुंचा रहे हैं।
क्यों होता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एच 1 एन 1 वायरस से होता है। यह बीमारी बहुत ही संक्रामक बीमारी होती है। यह वायरस स्वाइन फ्लू से जूझ रहे मरीजों के खांसने या फिर छींकने के दौरान मुंह और नाक से निकली छोटी-छोटी बूंदों के साथ बाहर आ जाते हैं और हवा में करीब 24 घंटे तक सक्रिय रहते हैं। जो भी व्यक्ति इस हवा में सांस लेता है यह वायरस उनके अंदर प्रवेश कर जाते हैं। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति इस वायरस युक्त बूदों से संक्रमित दरवाजे का हैंडल, गिलास, तकिया तौलिया या फिर कोई अन्य वस्तु को छूता है और छूने के बाद इन्हीं संक्रमित हाथों को अपने मुंह नाक के पास रखता है तो वह व्यक्ति भी इस वायरस से संक्रमित हो जाता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू बहुत ही गंभीर बीमारी है। शुरुआत में ही इसके लक्षण पता चल ताये तो इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। भूख न लगना, खांसी, बुखार, नाक से पानी, आना नाक जाम हो जाना, सिर दर्द, कमजोरी, थकान, बदन दर्द, उल्टी, मांसपेशियों में खिंचाव, आखें लाल होना, उल्टी दस्त, ठंडा लगना, गले में खराश या गले में कुछ अटका है ऐसा महसूस करना इसके लक्षण हैं।
बच्चों और बुर्जुगों को होता है ज्यादा खतरा
स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों और बुजुर्गों में होता है। साथ ही कम प्रतिरोधक क्षमता वाले या पहले से बीमार लोगों को भी ये बीमारी बहुत आसानी से हो जाती है। ऐसा कोई व्यक्ति जो काफी वक्त से बीमार हो, उसे भी इसका खतरा रहता है।
स्वाइन फ्लू की दवा
अगर स्वाइन फ्लू का कोई भी लक्षण अपने या फिर अपने परिचित में दिखे तो तुरंत ही उसको डॉक्टर के पास ले जाकर उसका इलाज कराना चाहिए। स्वाइन फ्लू के मरीज को हमेशा डॉक्टर की देखरेख में रखा जाता है। इसके लिए नाम की दवा दी जाती है। यह दवा मरीज की उम्र और वजन के हिसाब से दी जाती है।
होमियोपैथिक इलाज
डा. वीके वर्मा ने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर एकोनाइट, एम्ब्रोसिया, एलियमसिपा, आर्सेनिक एल्बम, बेलाडोना, बैप्टीशिया, ब्रायोनिया, ब्रोमियम, यूफेसिया, लाइकोपोडियम, नेट्रम म्योर, सैवाडिला, यूपेटोरियम पर्फ, रसटाक्स, इन्फ्लुएंजाइनम कों 6, 30, 200 के पॉवर में उम्र और लक्षण के अनुसार सक्षम चिकित्सक की देखरेख में दिया जा सकता है।
घरेलू उपचार
स्वाइन फ्लू से बचने के कई घरेलू नुस्खे हैं जिनको अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। कई बार घरेलू उपचार गंभीर खतरों को टाल देते हैं। रोग के लक्षण मिलने पर घरेलू उपचार और परहेज तत्काल शुरू कर देना चाहिये, इससे रोग का असर खतरनाक स्तर पर नही पहुंचता।
कपूर
कपूर स्वाइन फ्लू से बचाने में बहुत मदद करता है। इसके लिए गोली के आकार का कपूर का टुकड़ा महीने में एक या दो बार पानी के साथ निगल सकते हैं। छोटे बच्चों को इसे आलू या फिर केले के साथ मिला कर दिया जा सकता है। लेकिन यह ध्यान रखना है इसे रोजाना नहीं लेना चाहिए।
नीम
नीम बहुत सी बीमारियों से लड़ने में मददगार होती है। रोज नीम की 5-6 पत्तियां चबाने से खून साफ होता है और स्वाइन फ्लू का खतरा भी कम हो जाता है।
गिलोय
गिलोय और तुलसी की 5-6 पत्तियां मिलाकर एक 250 मिली पानी में उबालें, पानी आधा रह जाये तो इसमें सेंधा नमक या काला नमक और स्वाद के अनुसार मिश्री मिला लें, ठण्डा होने पर सेवन करें। एक सप्ताह तक लेने से स्वाइन फ्लू स छुटकारा मिल सकता है। गिलोय पपीता या गिलोय तुलसी का जूस 20 मिली. खाली पेट सुबह शाम लेने से स्वाइन फ्लू से आराम मिल सकता है।
तुलसी
हर घर में आसानी से उपलब्ध तुलसी के पत्तियां स्वाइन फ्लू से राहत दिला सकती हैं। तुलसी की 10 पत्तियां रोज खाने से लाभ मिल सकता है। इससे फेफड़े साफ होते हैं और इम्यूनिटी भी बढ़ती है।
प्राणायाम
रोज प्राणायाम करने या जागिंग करने से गला साफ रहता है और फेफड़ हेल्दी होते हैं तथा स्वाइल फ्लू का खतरा नही रहता है।
इनमें से एक समय में एक ही उपाय आजमाएं।
01. 4-5 तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं। 02. गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर पिएं। 03. गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास पानी के साथ लें। 04. 5-6 पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं। 05. आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं। आधा चम्मच हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है। 06. आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 07. तुलसी पत्र एवं आज्ञाघास (जरांकुश) उबालकर पिएं। 08. दालचीनी चूर्ण शहद के साथ अथवा दालचीनी की चाय लाभदायक। 09. गिलोय, कालमेध, चिरायता, भुईं-आंवला, सरपुंखा, वासा इत्यादि जड़ी-बूटियां लाभदायक हैं।
स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिये सावधानियां
स्वाइन फ्लू के मरीजों को छींकते या खांसते समय हमेशा मुंह पर टिशू रखना चाहिए और उस टिशू को तुरंत डस्टबिन में डाल देना चाहिए। बाहर जाना हो तो फेसमास्क लगाकर रखें। अपने हाथों को लगातार धोते रहें और दूसरी चीजों या सामान को ज्यादा छूने से बचें। हमेशा हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करें। खूब सारा पानी पिएं और खुद को डिहाइड्रेट रखें। थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें। लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने या चूमने से बचें।