बस्तीः टाउन हाल में साई कृपा संस्थान की ओर से आयोजित संगीतमयी साईकथा के चौथे दिन कथावाचक उमाशंकर जी महाराज ने कहा कि बाबा का पूरा जीवन लोक कल्याण में बीता। उन्होने इंसान इंसान में कभी भेद नही किया। उनकी लीलायें हमेशा साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रखने के लिये लोगों को प्रेरित करती थीं। कथावाचक ने चौथे दिन कथा को विस्तार देते हुये कहा कि पुणे में एक बेऔलाद दम्पति रहता था।
बाबा के बारे में उसे मालूम हुआ तो उसने अपने घर में रहकर ही उनका ध्यान करना शुरू कर दिया। मन ही मन बाबा से औलाद के लिये प्रार्थना करने लगा। बाबा ने उसकी फरियाद सुनी और उसे पुत्र रत्न मिला। दम्पति ने धूमधाम से पुत्र का जन्मदिन मनाया, बाबा को भोग लगाया, चांदी की थाली, कटोरी और चम्मच से उसने बाबा का भोग लगाया। आयोजन के बाद दम्पति घर में ताला लगाकर कहीं बाहर चले गये। वापस आये तो देखा उस स्थान से थाली कटोरी चम्मच भोजन सहित गायब था। वे हतप्रभ हो गये। कुछ दिनों बाद बाबा का साक्षात दर्शन वे शिरडी जा पहुंचे। बाबा ने दम्पति को देखते ही उनका कुशलक्षेम पूछा, और जन्मदिन के आयोजन के बारे में जानकारी लिया। दम्पति ने कहा बाबा सबकुछ कुशलता और भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ, सिर्फ आप नही थे।
बाबा ने कहा थाली में जो भोजन रखा था किसके लिये था, जवाब मिला वह आपको समर्पित था। बाबा ने कहा उसी समर्पण के कारण भोजन थाली सहित हमे मंगा लेना पड़ा। कुछ देर बाद बाबा ने गादी के नीचे से थाली, कटोरी, चम्मच सब दिखाया। बाबा का चमत्कार देख दम्पति हैरान हो गये और हमेशा से उनके भक्त हो गये। उमाशंकर जी महाराज ने कहा बाबा की लीलायें सदा उनका विश्वास दृढ करने के लिये होती थीं। उन्होने मुझे कौन पूछता था, 'मुझे कौन पूछता था तेरी बंदगी से पहले' जिस दिल में आपकी याद रहे, मेरा वही दिल कर दे', 'जो इनको याद करते हैं, उन्हे वे याद करते हैं' सहित कई भजनों से श्रोताओं का मनोरंजन किया।
आयोजन समिति के अध्यक्ष संतकुमार नंदन ने कहा कि गुरूवार को शाम 7.00 बजे से शिरडी के सुधांशु जी महाराज के भजन का कार्यक्रम तय है। इसके साथ ही विभिन्न सम्प्रदायों के लोगों को सम्मानित किया जायेगा जो अलग अले क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दे रहे हैं। साईकथा के दौरान कायस्थ वाहिनी के मंडल अध्यक्ष अजय कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में वाहिनी के कार्यकर्ता सेवादार की भूमिका में दिखे। कथा को सार्थक बनाने में आशीष श्रीवास्तव, सूरज श्रीवास्तव, प्रेमचंद श्रभ्वास्तव, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, महेन्द्रनाथ यादव, बिन्दू श्रीवास्तव, विनोद श्रीवास्तव, डा. प्रकाश श्रीवास्तव, सुधीर कुमार, संदीप श्रीवास्तव, दुर्गेश श्रीवास्तव आदि ने सहयोग दिया।